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प्रकृति की पुकार

  • Writer: Prarthi shah
    Prarthi shah
  • Feb 15, 2021
  • 1 min read

सब यहाँ कुछ खोया सा है

ये वक़्त का ठहर जाना है या किसी आने वाली पहर का इशारा है


कौन है वो जो हमसे रूठा है

किसका वो घर था जो हमने छीना है


वो चिड़िया जो पेड़ पे घोसला बनाती थी

वो नदिया जो साफ़ पानी को किनारे लाती थी

वो धरती जिसे हमने बंजर कर दिया है

वो वादियां जिसमे अब सिर्फ धुआं दीखता है


मौसम में अब नहीं वो बात है

इंसान क्या बस यही तेरी औकात है


सब यहाँ कुछ खोया सा है

ये वक़्त का ठहर जाना है या किसी आने वाली पहर का इशारा है


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